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मनुष्य जीवन में मां का महत्व

मनुष्य जीवन में मां का महत्व

     जीवन में माँ तू अनमोल है !
मां एक ऐसी शक्ति है! जिस के कई अनेक रूप हैं,
कभी वह हमें जन्म देती है। तो कभी वह हमारा भरण -पोषण करती है। कभी वह त्याग करती  है! तो कभी वह हमसे निःस्वार्थ प्रेम करती है । हमारे जीवन को सही ढांचे में ढालने से लेकर हमें सही दिशा देने और हमारे व्यक्तित्व को उभारने, हमें उंगली पकड़ कर खड़ा करने, हमारी पसन्द नापसंद को समझने तथा समूचे परिवार को प्रबंध करने तक माँ ही प्रमुख भूमिका होती है। वह हमारी जन्मदायी ही नहीं। बल्कि वह हमारी प्रथम शिक्षिका भी होती है।इंसान जीवन में हर ऋण से मुक्त हो सकता है।लेकिन मातृ ऋण से कभी मुफ्त नहीं हो सकता हैं।   


मां का स्थान व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण है, !सृस्टि की हर शै: माँ के आगे नतमस्तक होती है।  वह कैसे अपने प्यार के जादू से हमारे जीवन को बदल देती है। माँ हमारी पहली शिक्षिका होती है। वह हमें संस्कार देती है, आचार-व्यवहार सिखाती है,  संसार से परिचित कराती है ।सांसारिक चुनौतियों के लिए हमें संयमशील बनाती है। यह सब बिना शर्त निस्वार्थ भाव बच्चों की ख़ुशी के लिए अपना जीवन का त्याग करती है।  माँ की ममता जीवन में गंगा की अनवरतधारा की तरह हमेशा  बनी रहती  है। ; यानि एक ही जीवन में हमारे ऊपर माँ के अनेक ऋण होते हैं। इन ऋणों को हम मुक्त तो नहीं हो सकते, परन्तु उनकों उचित सम्मान दे ही सकते हैं। 

मां की ममता की थाह लगाना मुश्लिक है!

क्या आपने कभी सोचा है कि जीवन में ठोकर लगने पर या मुसीबत की घड़ी में “माँ”  बच्चों की मुश्किल का पता कैसे लगा लेती है! क्योंकि माँ हमको तब से जानती है । जब से हम जन्म लेते हैं। उसे अपने बच्चे की प्रत्यके हरकत की खबर होती है।  “तभी तो माँ की ममता अनमोल है”

मनुष्य जीवन में मां का स्थान:-
माँ के प्यार में कोई शर्त नहीं होती उनकी ममता की गहराई नापी  नहीं जा सकती है। संसार के हर रिश्ते में कोई न कोई स्वार्थ हो सकता है परन्तु माँ का रिश्ता कभी स्वार्थपूर्ण नहीं हो सकता। तभी तो माँ अनमोल होती है, नीतिगत सही है कि पुत्र भले ही कुपुत्र हो मगर माता कुमाता नहीं हो सकती। हम गलती करते जाते हैं और  वह माफ़ करती जाती है। आधुनिक परम्परा की दौड़ में पड़कर या पारिवारिक मज़बूरी के वशीभूत होकर माता जो त्याग कर देती है।  या अनादर करती है अर्थात जो माता के बुढ़ापे में असहाये होने पर उनका तिरस्कार कर देते हैं फिर भी अपनी संतान को अपने अनमोल आशीर्वाद से सदा खुशिहाली हेतु अमोल आशीर्वाद को सहर्ष बराबर बराबर बाट देती है जिस आशीर्वाद को शास्त्रों में अचूक बाण की संज्ञा दी गई है। अतः  माता सृस्टि की “अनमोल” रचना है।

निःस्वार्थ भाव की मिसाल स्थापित करने वाली मदर टेरेसा का अपना कोई परिवार नहीं था मगर उनके संपर्क में आने वाला हर व्यक्ति उनका परिवार था।  उनकी उमड़ती हुई अनमोल ममता ने ही तो उनको मदर टेरिसा बना दिया। ऐसे ही स्वामी रामकृष्ण परमहंस की पत्नी, माँ शारदा देवी ने अनमोल मातृत्व की मिसाल कायम की थी। हर युग में हमारा इतिहास ऐसी ही मिसालों से भरा पड़ा है।

आशीर्वाद की शक्ति –  यदि आप किसी शक्ति का सम्मान करते हैं तो उनके अंतरमन में विद्यमान ईश्वर आपकी सहायता करते हैं क्योंकि ईश्वर सब में मौजूद है। यदि हमसे कोई भूल हो जाये तो मिथ्याभिमान करके उसे सही करने का प्रयास नहीं करना चाहियें बल्कि अपने बड़ों, माता पिता से तत्काल क्षमा याचना कर लेनी चाहिए। जिससे आपके चरित्र को सुदृण निर्माण होगा और अभिभावक का अनमोल आशर्वाद आपको प्राप्त होगा।

हम जीवन में जो भी स्थान प्राप्त करते हैं उस स्थान को प्राप्त करने में  माता पिता या बड़ों का अचूक सहयोग रहा है। अभिभावकों के दिए गए संस्कारों को कभी मत भूलिए, कुसंगति या कुसंस्कारों तथा अभिमान को उतार फेंकिए चाहें वह कितने ही लुभावने व आकर्षक हों। माता पिता अपनी संतान की भलाई के लिए सबकुछ दांव पर लगा देते हैं।

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